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विश्राम / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
एक पंख सूरज
एक पंख चाँद
बहुत तेज उड़ता है
समय का यान ।
आओ इसके पंखों को काटें
गति दें थाम
हारे-थके जीवन को
करने दें
युग-युग विश्राम।