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विश्वास / कन्हैया लाल सेठिया

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मत राख
परायै भरोसै रै
अड़ाणै
थारो विश्वास,

कोनी छूटै
फेर बां री
पकड़ स्यूं
निमलो मन,

हुवै दिन दूणो
रात चौगणो
थथोपां रो ब्याज,

कर देसी
ललवासां रो
कलीन्तर
मूल नै
निरमूल !