विश्व कप 1998 / शिवप्रसाद जोशी
ब्राजील हार गया
सपने के आगे हार गया वह
पेले का ब्राजील
ऊँचाई तक दौड़ते-दौड़ते थक गया
लोकप्रियता का हिमशिखऱ पिघल गया
उम्मीद और इच्छा की चट्टान सख़्त और भारी थी
सट्टे के बीहड़ विस्तार में
गेंद कब आकर घुस गई गोलपोस्ट में
बिजली की तरह लपलपाती
अनुमान नहीं लगा पाया टफ़ारेल गोलची
विश्व का सबसे बुज़ुर्ग गोलची
अनुमान के भँवर में समा गया
जैसी पूरी टीम समा गई महानता के भँवर में
क्या महानता में इतना ख़तरा है
तभी कहा था फ़ेलीनी ने
स्मारक पर कबूतर बीट कर देते हैं
वह चिरपरिचित खेल दुनिया का प्रिय
लापरवाह से दिखने वाले और
अचानक धावा बोल देने वाले शेर
वह सांबा नृत्य
संगीत में संघर्ष की गाथा सुनाते
मैदान में कविता रचते
एक दूसरे के साथ आगे रचते
एक दूसरे के साथ आगे बढ़ते
फुटबॉल के सबसे मौलिक खिलाड़ी
वह रोनाल्डो वह कार्लोस
कितना मुश्किल होता है नाम को ढोना
कितनी तकलीफ़ दर्द को मिटाने वाले इंजेक्शन से
भी ज़्यादा दर्दनाक
रोनाल्डो बीमार था
उसने उल्टियाँ की थी खेल से पहले
आख़िर वह इंजेक्शन किसे खड़ा करता है
एक खिलाड़ी को या एक मशहूर नाम को
उस दिन अपना खेल दे दिया फ्रांस को
और ख़ुद से ही टकराता रहा ब्राज़ील।