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व्यस्तता / सलिल तोपासी
Kavita Kosh से
हाथों की ऊँगलियों को डबोचते हुए
लटके इस डर से कि कहीं टूट न जाए
रंग-बिरंगी थैलियाँ
अपने आपको कभी खुशनसीब
तो कभी संतुष्ट समझकर
कारण और क्या है?
किसी में महेंगे तो किसी में सस्ते सामान
वे सामान जो गरीबों और गरीब खानों
अमीरों और महलों की
सजावट के लिए
अपने अस्तित्व को रूप देंगे अकसर
उन बेघरों और अनाथों को भूलना
एक आदत सी बन गयी है।