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शराब / कारमेन जगलाल
Kavita Kosh से
तुम अमृत भी हो, और जहर भी
तुम बीमारी भी हो, और इलाज भी
तुम दवा भी हो और दारु भी
हे शराब तुम क्या क्या नहीं हो।
तुम जीवन भी हो, और मृत्यु भी
तुम दर्द भी हो और मरहम भी
तुम दुआ भी हो, और अभिशाप भी
हे शराब कैसे बताई तुम क्या हो?
तुम धर्म भी हो, और अधर्म भी
तुम स्वर्ग भी हो, और नरक भी
तुम आँसू भी हो और खुशी भी
हे शराब तुम चीज ही लाजवाब हो!