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शरारत / उदय प्रकाश
Kavita Kosh से
छत पर बच्चा
अपनी माँ के साथ आता है.
पहाड़ों की ओर वह
अपनी नन्हीं उंगली दिखाता है.
पहाड़ आँख बचा कर
हल्के-से पीछे हट जाते हैं
माँ देख नहीं पाती.
बच्चा
देख लेता है.
वह ताली पीटकर उछलता है
--देखा माँ, देखा
उधर अभी
सुबह हो जाएगी.