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शीतलता / प्रदीप कुमार
Kavita Kosh से
जेठ की भीषण
तपती दोपहरी में
लीप रही है घर को
दीवारों को
छत को
मिट्टी की ठण्डक से
अपनी जर्ज़र देह को
सूरज की आंच में तपाकर
ताकि दे सके
अपने बालकों को जीवनदायी शीतलता।