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शुक्रिया इंटरनेट / पंछी जालौनवी
Kavita Kosh से
फ़ासले भी बने रहे
और जुदा भी नहीं हुये
हम एक दुसरे से दूर
ज़रा भी नहीं हुये
अगर कोई धूप
उसकी सेल्फी में
उसके जिस्म को
छूते नज़र आई
हम बादलों की तस्वीर
बना के उसे भेज देते थे
अगर ख़्वाब में भी
किसी बात पे
वो मुझसे रूठ जाती थी
आँख खुलते ही
वीडियो कॉल पे
हम उसकी
हम उसकी
पेशानी चूम लेते थे
इस तालाबंदी में भी
दिलके दरवाज़े खुले रहे
हम मिलते जुलते रहे
एक अलग लुत्फ़ था
तन्हाई में
उससे चैट का
शुक्रिया
बहुत शुक्रिया इंटरनेट का॥