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शुक्रिया रघुवीर सर! / सुन्दरचन्द ठाकुर

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शुक्रिया रास्तो
दुर्गम चोटियों तक पहुँचाया तुमने
पैरो
ग़लत रास्तों से लौट आए तुम

कार की मेरी खिड़की के बाहर
हाथ पसारे उस बच्चे को क्या कहूँ
अगले ही क्षण
जो ख़ाली हाथ चला गया

उसे मैं दे दिया गया हूँ
जैसे दे दिए गए तुम

शुक्रिया रघुवीर सर!