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शोभा हो शोभा अपरंवार / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

शोभा हो, शोभा अपरंपार शिव तेरी शोभा हो

अंग भसम सिर गंग बहाए जटा जूट लटकाए
शिव तेरी शोभा
शोभा अपरंपार शिव तेरी शोभा हो

डिमिक डिमिक डिम डमरु बाजे भूत प्रेत संग नाचे
शिव तेरी शोभा
शोभा अपरंपार शिव तेरी शोभा हो

कर तिरसूल और डमरु राजे सीस चंद्रमा राजे
शिव तेरी शोभा
शोभा अपरंपार शिव तेरी शोभा हो