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श्याम से पहले / विजय वाते
Kavita Kosh से
ज़रा-सा सोच भी लेते अगर अंजाम से पहले।
हमें फिर क्यों सज़ा मिलती, किसी इल्ज़ाम से पहले।
कभी भी तुम खुको, कोशिश हमको मनाने की,
कभी राधा भी तट पर आ गई थी, श्याम से पहले।
वो लक्ष्मी हो कि सीता हो, कि राधा हो या गौरी हो,
तुम्हारा नाम आएगा, हमारे नाम से पहले।
इरादे नेक थे अपने, तक़ीनन ठीक थी नीयत,
दिखाना था मुहूरत भी, हमें, शुभ काम से पहले।
सुबह उठते ही सोचा था, पिएँगे अब नहीं 'वाते',
खुदा से है दुआ, तौबा न टूटे शाम से पहले।