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षडयन्त्र-साधकों से / मनोज श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
षडयन्त्र-साधकों से
तुम भी साधक हो
हां, साधक हो
कहा ना!
साधक हो तुम!
श्रमशील साधक!
गुहा-कंदराओं में
दीन-दुनिया
और घर-द्वार से दूर
धूनी रमाए ध्यानरत हो तुम!
सृष्टि-विसर्जन के लिए
स्वयं को संसाधित करने में
तुमने भी पढ़े हैं
ज्ञान-विज्ञान
दर्शन-पुराण
कर्म और धर्म-शास्त्र
परम सत्य की खोज में.