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संकेतों के बीच / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
समय
लावारिस बच्चे-सा
कितना फ़ालतू हो जाता है कभी।
या जादुई रंग-सा
बहुत दूर तक।
- एक ख़ौफ़नाक संदेह
- गोद में सोया हुआ अंधेरा।
- चुप रहने का संकेत
- हर बार।
अधकटी ज़बानों पर कर्फ़्यू है।
- लेकिन मैं अभिशप्त
मुझे करनी हैं अभिव्यक्त
- वे ही सब बातें।