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सगळा ही कवै / कन्हैया लाल सेठिया
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सगळा ही कवै-
ओ मारग
रात’र दिन बवै,
पण,
म्हे तो ईं नै
पडयो ही पडयो देखाँ,
कुवै ही भांग पड़गी
जद कोई नै के काँ ?