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सच / कर्मानंद आर्य
Kavita Kosh से
ओ प्रिया!
मैं अक्सर तुम्हारे बारे में
सोचता हूँ........
तुम ठीक वैसी होंगी
कोमल नूरजहाँ सी
पथरायी ताजमहल
और, कई बार तुम
ऐसी भी होती हो
जब तुम्हारे साये में
मैं होता हूँ
ठीक बचपन सा
तुम्हारी नम उदास आखों में
मैं बहुत कम होता हूँ
तुम्हारे पास
जब तुम हँस रही होती हो
झूंठी हँसी