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सट्टा / सुषमा गुप्ता
Kavita Kosh से
क्षणिक सुखों पर
जब -जब
लगाए गए है दाँव ऊँचे
स्थायी दुखों के तम ने
जीवन में डाला है डेरा।
भावनाओं का यह सट्टा
बावजूद इसके,
लगाया जाता है
निरंतर आदिकाल से।