भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सदस्य:KRaj

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हलात के कदमो मे कलन्दर नहीँ गिरता,

गर टूटे तारा तो जमी पर नहीँ गिरता।

बडे शौक से गिरते हैँ समन्दर मेँ दरिया,

पर किसी दरिया मेँ समन्दर नहीँ गिरता।

नायक बरदापुटीवाले