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सदस्य वार्ता:Rina banerjee
Kavita Kosh से
संसार
सागर के इस पार सोच रही हूँ,कहाँ है भिन्नता यह ही है तकरार जाना तो है सबको एक जगह न कर भाई इंकार येहीं पर है, सबका क्रीडांगन अलग नहीं है,यह संसार'