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सपना दुख / प्रमोद कुमार
Kavita Kosh से
अब मैं सपने नहीं देख पाता,
ऐसा नहीं कि मुझे नींद नहीं आती
ऐसा भी नहीं कि सपने नहीं आते,
होता यह है
कि ज्योंही कोई सपना आता है
मैं समझ जाता हूँ
कि यह तो केवल एक सपना है
और मेरी नींद टूट जाती है
सपनों के विछोह में
मुझे फिर नींद नहीं आती,
मैं अगले कई दिनों अर्धनिद्रा में चलता हूँ ।