भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सप्ताह के सात दिन / प्रणय प्रियंवद
Kavita Kosh से
तुमसे सप्ताह में
एक दिन मिलता हूं
बाकी छह दिन गुज़ारता हूं
तुम्हारे इंतज़ार में।
चाहता हूं
एक दिन में
सात दिन जीऊँ
तुम्हारे साथ
इसलिए खूब चूमता हूं तुम्हें
खूब गोद लेता हूं
खूब बातें करता हूं।
तुम अभी इतने छोटे हो कि
बातें नहीं कर सकते
सिर्फ़ मुस्कुरा सकते हो
एक दिन की मुस्कान की नकल
मैं छह दिनों तक
करता हूं
मैं इस तरह छह दिनों तक
तुम (नवजात) बन जाता हूं और
एक दिन रह जाता हूं पिता।