भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सफ़र / स्वाति मेलकानी
Kavita Kosh से
					
										
					
					इस सफर की हर कहानी
     दूसरों की मुँहजुबानी
     सुन चुके हैं, सुन रहे हैं
     हम सफर तय कर रहे हैं।
	
	