सफ़र का मर्सिया / विस्साव शिम्बोर्स्का
सब कुछ मेरा है लेकिन मैं इसकी मालिक नहीं।
याददाश्त के लिए भी नहीं,
और मेरा है जब तक मेरे सामने है।
यादें खुदाई में निकली उन प्रतिमाओं-सी हैं
जिनका धड़ रह गया है सर नहीं।
सामोकोव क़स्बा बारिश में भीगता हुआ
याद रह जाती है सिर्फ़ बारिश।
लूव्र से नाख़ून तक पेरिस
जैसे एक झिल्ली से ढँका हुआ।
साँ मार्तीन सड़क की सिर्फ़ सीढ़ियाँ बची रह गई हैं
अनन्त में विलीन होती हुई।
पुलों के शहर लेनिनग्राद का कुछ नहीं बचा सिवा
डेढ़ पुल के।
और बेचारा उपसाला
अपने विराट गिरजाघर के ज़रा से टुकड़े के साथ।
सोफ़िया का उदास नर्तक,
जिसके पास शरीर है चेहरा नहीं।
फिर चेहरा अलग से याद आता है पर उसमें आँखें नहीं,
फिर आँखें याद आ जाती हैं पर उनमें पुतलियाँ नहीं,
और अन्त में, बिल्ली की पुतलियाँ।
कोहकाफ़ का बाज़ उड़ता है
एक बीहड़ की तस्वीर के ऊपर,
दिखावटी सोना चमकाते सूरज के ऊपर,
नक़ली जवाहरात के ऊपर।
सब कुछ मेरा है लेकिन उधार का,
याददाश्त में भी नहीं रहेगा,
और मेरा है जब तक नज़र उसपर डाल रही हूँ।
इतने दृश्य जिनकी कोई गिनती, कोई सीमा नहीं,
अपने बारीक से बारीक रेशे तक,
रेत के कण में, पानी की बून्द में निहाँ।
मैं घास की एक अकेली पत्ती को भी
उसकी सम्पूर्ण छवि के साथ नहीं सँजो पाऊँगी।
नमस्ते और अलविदा
बस एक ही नज़र में।
ज़्यादती और कमी के लिए
गर्दन की एक ही जुम्बिश।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी