भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समझ / रमेशचन्द्र शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसने बनाई समझ?
चीज़ें किसकी समझ हैं?
चीज़ों से बनीं समझ
या कि चीज़ें समझ से?

चीज़ों के पीछे पड़ी, चीज़ों के आगे अड़ी
चीज़ों के बाहर खड़ी
तू भी क्या चीज़ है!

मेरी समझ वापिस ला
उबार ले अब भी मुझे

नामरूप चीज़ों की
कामरूप
समझ!