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सरकारी ख़बर / लीलाधर मंडलोई

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यह जो वसन्त गया रोता-बिसूरता
लौट आएगा
एक माँ बिलख रही है
रोके नहीं रुकती हिचकियाँ
भरोसा नहीं सरकारी ख़बर का

उसका बेटा किसी युद्ध में नहीं गया आख़िर