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सरस्वती बंदना / अवधेश्वर अरुण
Kavita Kosh से
जय जय जय माँ बीनापानी
महासरस्वती जन-कल्यानी
सुकुल बरन टन ससि-मुख सुन्दर
सोभा के सुभ सान्त समुन्दर
दिव्य बसन, मुख उज्जवल कान्ती
दरसन से पावे मन सान्ती
विद्या, कला, ज्ञान के देवी
हंसवाहिनी परम विवेकी
अक्षमाल पुस्तक मृदु कर में
सकल राग बीना के सुर में
सब्द-दीप के जोत भवानी
अर्थ-छन्द-रसमय कल्यानी
जग-जननी जय जय ब्रम्हानी
जय जय जय माँ बीनापानी
अन्धकार तोरा बिना, इ संउसे संसार
द प्रकाश जगदम्बिका, होए जगत-उद्धार