भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सरिता / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीवन सरिता
(प्रेम का मार्मिक चित्रण)
इसकी पलकेंा में चमक जगे
कितने शशि -तारे कांपने लगे
इसके अंगों में पवनों के
कितने मृदु चुम्बन प्रेम पगे
अधरों को इसके चूम चूम
भँवरों के पीछे घूम-घूम।
यह चली जा रही चपल चरण
हँस-हँस करती अस्थिर नर्तन
(प्रेम भावना कविता का अंश)