भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सवाल / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
Kavita Kosh से
आतंक
अगर केवल मशीनगन गोली
और अचानक मौत है
तो वह क्या है भाई
जो घर के अंदर से
दफ़्तर के अंदर तक
तुम्हारे साथ-साथ
चलता है
तुम्हारे सच का गला घोंट कर
सदैव तुम्हारे मुँह से बाहर
निकलता है
प्रतिरोध के हर मौके पर
बच्चे की फ़ीस
पत्नी की दवाई
सुबह-शाम की रोटी
याद दिलाता है
ग़ुस्सैल की जगह
चापलूस बनाता है
गोली से संभावित
यकलख़्त मौत
अगर आतंक है
तो उम्र भर
लम्हा—लम्हा मौत
क्या है
आतंक का टारगेट
कुछ लोग हैं
तो लगभग देश
किसका टारगेट है.