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सांध्य तारा / अज्ञेय
Kavita Kosh से
साँझ। बुझता क्षितिज।
मन की टूट-टूट पछाड़ खाती लहर।
काली उमड़ती परछाइयाँ।
तब एक तारा भर गया आकाश की गहराइयाँ।
जापान, 21 दिसम्बर, 1957