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साफ अकास / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
अकास
सावळ तरियां
झाड़ियो-पूंछियो
स्याम पट
जिण पर
कठैई,
कोई
चाक रो
निसाण तक
कोनी