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सिंझ्या / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
देख‘र
आंथूणी सींव पर
बिसाई लेतै
थाक्योड़ै बटाऊ सूरज नै
पकड़ली
लपक‘र पिंडी
रात रै पाल्योड़ी
गंडकडी सिंझ्या
छूटगी लोही री
तूतकी
रंगीजग्यो गिगनार !