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सिंह के सवारी / सुभाष चंद "रसिया"
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सिंह के सवारी बाटे, हाथ में कटारी बाटे, दुर्गा अवतार में।
काहे बसी गइलू ये माई, जाई के पहाड़ में॥
मँगनी मल्होरिया से फूलवा के हरवा।
फूलवा चढ़ाईब माई संझिया सबेरवा।
भक्त गोहरावतानी मईया नाही अवतानी।
नवरात्र बहार में॥
काहे बसी गईलू ये माई॥
रात-दिन तोहरा के हम गोहराई।
दियवा ज़रा के मईया तोहके बुलाई।
हाथ में आरती लेके दुबरा पर ठाढ़ होके।
रउरी दरबार में॥
काहे बसी गईलू ये माई॥
जे करे आस तोहके राखेलूँ नजरिया।
अपनी ही भक्तन के लेलु खबरिया।
झूमि-झूमि भक्त गावे मैया रोज रोजे आवे
भक्त की ऊद्धार में॥
काहे बसी गईलू ये माई॥
भक्त के पुकार सुनि जल्दी आवे मईया।
नईया मझधार बाटे रउरे ही खेवैया।
रहिया में रसिया जोहे मोहनी मुरतिया शोहे।
विन्ध्य दरबार मे॥