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सिपाहियों का गीत / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
सान पर चढ़े हुए
हम अजीब पहरुए
पाँव इस तरफ़ धरो ज़रा सम्भाल के ।
हम सरल जवाब हैं कठिन सवाल के ।।
वीर भूमि के सपूत लोह के ढले
जिस तरफ़ चलें, उठें हज़ार जलजले
वज्र से डरें न हम
मृत्यु से मरें न हम
रक्त के दिवस हमें लगें गुलाल के ।
हम सरल जवाब हैं कठिन सवाल के ।।
देश के पवित्र स्वाभिमान के लिए
राष्ट्र के अजर-अमर निशान के लिए
मुश्किलें करें सरल
ज़िन्दगी बदल-बदल
दम्भ के पहाड़ फेंक दें उछाल के ।
हम सरल जवाब हैं कठिन सवाल के ।।
हम बहुत कृतज्ञ जो जगा गए हमें
एकता का रास्ता दिखा गए हमें
सूत में पिरो गए
फूल सब नए-नए
भिन्न-भिन्न रंग के विभिन्न डाल के ।
हम सरल जवाब हैं कठिन सवाल के ।।