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सुख-दुख से दूर / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
सुख - दुख से दूर
निर्जन एकान्त में
सिर्फ मैं
और कोई नहीं
किसी का इन्तजार भी नहीं
गोया
सागर के बीच
एक अकेला द्वीप