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सुधार / साधना जोशी

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हो सकता है सुधार आज भी,
अगर अपराधी को न बक्सा जाय ।
भाई भतीजे वाद का अन्त हो जाय,
रिष्वत खोरी पर लगाम लगायी जाय ।

जनता अधिकार और,
कर्तव्य का ज्ञान रखे ।
कर्म की राह पर बढती रहे,
निजी स्वार्थ त्याग कर,
सत्य का अनुसरण करें,
झूठ का साथ छोड़े ।

चुनाव में दिये गये तुच्छ,
लालच को न अपनायें ।
चुने प्रतिनिधि की,
चम्चागिरी छोड़ दें,
उसे अपना नियुक्त,
कार्यकर्ता माने ।

खुषी होती है तब,
जब भ्रस्टाचार पर,
लगाम लगाने के लिए,
कोई कानून बनता है ।
किन्तु खून के आंषू बहते हैं,
जब कानून को नकारने के लिए,
नियम बनते हैं संसद में ही ।

घटिया दलीलों से अपने को,
बचाता है अपराधी और,
उसपर सिर हिलाते हैं,
कुर्सियों पर बैठे लोगे ।