भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुबह का गीत / बेई दाओ
Kavita Kosh से
|
शब्द किसी भी गीत का विष हैं
गीतों से बनी रात के रास्तों पर
पुलिस का सायरन
नींद में चलने वाले के अल्कोहल का उत्तर-स्वाद है
जागना ही एक सिरदर्द है
जैसे खिड़की के पारदर्शी स्पीकर
सन्नाटे से गर्जना की ओर
एक पूरा जीवन बर्बाद करने सबक़ सीखते
मैं चिडिय़ों की आवाज़ों पर मंडराता हूं
ठीक वैसा ही कभी नहीं बोलता
जब तूफ़ान गैसों से भर जाते हैं
प्रकाश की किरणें अक्षर को छीन लेती हैं
उसकी तहें खोलती हैं और फिर उसे फाड़ देती हैं
अंग्रेजी भाषा से रूपांतरण : गीत चतुर्वेदी