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सूरजमुखी का सच / सीमा संगसार
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					ओ री सूरजमुखी, 
ताकती है सूरज का मुँह 
अंधेरों से घबराकर 
सौंप देती है 
अपना सर्वस्व 
सूरज के हवाले? 
एक सूरज के इशारे पर 
कठपुतली-सी नाचती हुई 
तुमने अपनी सारी महक खो दी है 
तुम्हारा सारा वजूद 
समा गया है
सूरज की किरणों में...
ओ री सूरजमुखी 
कभी होश आये तो 
आना चांदनी रात में 
रातरानी बनकर 
दीदार करना चाँद से 
जब तेरे रूह में 
समा जाए चाँदनी 
यकीन मानो 
छोड़ देगी गुलामी
 सूरज की...
	
	