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स्मृति / रामधारी सिंह "दिनकर"

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शब्द साथ ले गये, अर्थ जिनसे लिपटे थे।
छोड़ गये हो छन्द, गूँजता है वह ऐसे,
मानो, कोई वायु कुंज में तड़प-तड़प कर
बहती हो, पर, नहीं पुष्प को छू पाती हो।