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स्वागत-गान - 4 / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

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हम हैं प्रभु को शीश नवाते।
उमग-उमग स्वागत करते हैं, फूले नहीं समाते।
बड़े भाग से ऐसे अवसर कभी-कभी हैं आते;
लघु जन पर श्रीमानों-जैसे जन हैं कृपा दिखाते।
नाम आपका ले जीते हैं, कीर्ति आपकी गाते;
मिले आपका बल पलते हैं, सोया भाग जगाते।
हाथ जोड़कर मंगलमय से हम हैं यही मनाते;
फूलें-फलें, सुयश ले जीवें, रहें सकल सुख पाते।