भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हजारासिंग का गिटार / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
बीसवीं सदी के आठवें दशक के प्रख्यात गिटारवादक हज़ारासिंग के सम्मान में यह कविता
मेरी गली में
रहने वाला
बिजली मैकेनिक
हज़ारासिंग की बजाई
गिटार की धुन में डूब गया है
वह कहता है —
हज़ारासिंग मेरा प्रिय वादक है
कल बिजली की
भारी मशीनों पर झुका
वह जरूर इसी धुन को गुनगुनाएगा
मैं खु़श होता हूँ
और मैकेनिक की सिगरेट से
अपनी सिगरेट सुलगाकर
हज़ारासिंग के गिटार में
डूबने की कोशिश करता हूँ