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हत्भाग / सांवर दइया
Kavita Kosh से
गूंगो गुड़ रा गीत गावै
बोळियो सरावै
सजी सभा में
पांगळो पग पम्पोळ बोल्यो-
म्हैं नाचसूं !
आंधो आगै आयो
बाड़ो बोलतो-
थांरो कांई ठेको लियोड़ो है
म्हनै ई देख्ण द्यो !
कळावंत !
काठी झाल थारी कलम नै