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हममें ज़िंदा रहा कबीर / गरिमा सक्सेना
Kavita Kosh से
हम ज़िंदा हैं
हममें ज़िंदा रहा कबीर
जब सब चुप थे
हम शब्दों की धार रहे
कभी बने हम ढाल
कभी तलवार रहे
हम ज़िंदा हैं
हमने सही परायी पीर
हम साखी में,
सबद, रमैनी, बातों में
आदमजात रहे
सारे हालातों में
हम ज़िंदा हैं
हममें है नदिया का तीर
मगहर हैं हम,
आडंबर, पाखंड नहीं
पूरी धरती हैं
सीमित भूखंड नहीं
हम ज़िंदा है
कर्म हमारी है तक़दीर