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हम ही बिहार / संजीव कुमार 'मुकेश'

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हम ही बिहार, हम्मर विचार आऊ संस्कार के कि कहना॥
भगवान महावीर, बुद्ध, गुरु गोविन्द खेले जेकर अंगना॥
हल नालन्दा जब विश्वगुरू, चहूँ ओर ज्ञान के ज्योति जलल।
 विक्रमशिला-उदंतपुरी से बुद्धि-विवेक खुब होल प्रवल।
 पुटलीपुत्र हई शान हमर, पाँच पहाड़ी हे गहना।
हम ही बिहार, हम्मर विचार आऊ संस्कार के कि कहना॥
भगवान महावीर, बुद्ध, गुरु गोविन्द खेले जेकर अंगना॥
 
काकोलत में शीतल जल, सतधरवा गरम जल धारा हई.
 मगध क्षेत्र दुनियाँ भर ले, शांति के बनल किनारा हई.
 फल्गु नदी के तीर तले, दुनियाँ चाहे आके तरना।
हम ही बिहार, हम्मर विचार आऊ संस्कार के कि कहना॥
भगवान महावीर, बुद्ध, गुरु गोविन्द खेले जेकर अंगना॥
 
पान, मखाना, माछ, पाग देखे के हो त आवऽ मिथिला।
 पुरुषोत्तम भगवान राम जानकी मइया से इंहे मिलला।
 देवो के देव महादेव भी आके रहला बनके ऊगना।
हम ही बिहार, हम्मर विचार आऊ संस्कार के कि कहना॥
भगवान महावीर, बुद्ध, गुरु गोविन्द खेले जेकर अंगना॥
 
हम लोक तंत्र के जननी ही, चाणक्य देव के कर्मभूमि।
 शेरशाह, चुहड़मल योद्धा, गौतम के हई तापोभूमि।
 इ धरती के लाल के मेहनत, जोड़ न´् दुनिया के कहना।
हम ही बिहार, हम्मर विचार आऊ संस्कार के कि कहना॥
भगवान महावीर, बुद्ध, गुरु गोविन्द खेले जेकर अंगना॥
 
सब धर्म के ऐसन संगम न´्, खोजऽ मिलतो ई दुनियाँ में।
 ढ़िबरी, ललटेल मंे देख लिहा तो अमस्या या पुनियाँ में।
 बाबा मखदुम-मणिराम बबा के मंदिर-मस्जिद हे संगमा।
हम ही बिहार, हम्मर विचार आऊ संस्कार के कि कहना॥
भगवान महावीर, बुद्ध, गुरु गोविन्द खेले जेकर अंगना॥
 
मगही पान के कइसे भूलबई, ई तो हम्मर शान हकई.
 भारत मइया के सेवा में केतना जीवन कुर्वान हकई.
 माय बहीन भी हंस-हंस के छोड़े चुड़ी, टिकुली, कंगना।
हम ही बिहार, हम्मर विचार आऊ संस्कार के कि कहना॥
भगवान महावीर, बुद्ध, गुरु गोविन्द खेले जेकर अंगना॥
 
आके देखऽ केतना देखबऽ देखते-देखते थक जइवा सब।
 ज्ञान-ज्योति के दीप जलावे फिन 'नालन्दा' अइवा अब।
 सादा जीवन अऊ उच विचार अपना के धरा पर हे रहना।
हम ही बिहार, हम्मर विचार आऊ संस्कार के कि कहना॥
भगवान महावीर, बुद्ध, गुरु गोविन्द खेले जेकर अंगना॥