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हवा / नवनीत पाण्डे

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मैंने कहा-कुछ बोलो!
वह बोली भी
पर उड़ा ले गई हम दोनों के बीच का संवाद
हवा!
हवा जो आई थी बाहर से
उसके होंठ हिल रहे हैं
गोया
वह अब भी कुछ बोल रही है
कुछ कह रही है
पर कहां रुकती है, सुनने देती है
हवा!
यह बाहर की हवा