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हाइकु 150 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
भ्रष्टाचार है
देस री नस-नस
ब्लड-कैंसर
गांव-सहरां
घणा है घुड़लैखां
लुटै नारियां
जद-जद ई
बरसै थारी आंख
भीज जावूं म्हैं