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हाइकु 82 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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आ बाळू नईं
सोनो है म्हारी प्यारी
मरूधरा रो
अेक ई डाळ
सागै फूल‘र कांटा
भाग है जुदा
ज्वार‘र भाटा
अेक ई पाणी जाया
आवै‘र जावै