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हाइकु 86 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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हत्यारा कोनीं
बस मिनख मारै
भाई कैवा‘वै


घोर अंधार
इण सूं लड़ रैयो
नांनौ आगियो


राज भी करो
घर सोने सूं भरो
दो हाथां लाड्डू