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हाथ / राम दरश मिश्र
Kavita Kosh से
इस हाथ से मैंने
आगजनी पर कविता लिखी
दंगे पर कहानी
आरक्षण पर लेख लिखा
अयोध्या मसले पर टिप्पणी
आतंकवाद के विरुद्ध हस्ताक्षर-अभियान चलाया
और कनाट-प्लेस में मानव-श्रृंखला बनाई
सम्प्रदायवाद के विरोध में
लेकिन तुम कहाँ छिपे रहे भगोड़े
इस जलते समय में ?
वह चुप रहा
और शायद मेरी चिकनी हथेलियाँ देखता रहा
फिर धीरे-धीरे अपने दोनों हाथ फैला दिए
वे झुलसे हुए थे
वह बोला -
"मैंने एक जलते हुए मकान में से
एक बच्चे को बचाया था
फिर अस्पताल में पड़ा रहा "