हाय रे विदेशी / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
किसीम-किसीम झगड़ा लगावै विदेशी,
मीयां-बीबी मेॅ उलझावै विदेशी।।
कभी तेल, साबुन, किरीममा फरमाबै,
काल टेप, टीवी, परसू कूलर मंगाबैं,
माँग पूरा करै मेॅ धुरनी बेहोशी। किसीम-किसीम...।
हूर-हूर केॅ मोटर-साइकिल धुमावैं
रात-दिन डेक आरू सीडी बजावैं,
तंग आवी गाल-मूं फुलावै पड़ोसी,
आपन्हों मेॅ भेद-भाव बढ़ावैं विदेशी। किसीम-किसीम...
कमीशन-गीफ्टऽ सेॅ बिक्री बढ़ाबैं,
स्वदेशी समानऽ पं लेबूल चड़ावै,
हमरा दै नफा कम, आपनेॅ लै वेशी
गरीबी बढ़ाय देलकै देखऽ विदेशी। किसीम-किसीम...।
दबा केरऽ नामों पेॅ जहर बेचैं छैं
कोका-पेप्सी बेची, पैसा नोचै छैं
कत्ते जोन मरी गेलैं, मरलैं मवेशी,
आजादी पेॅ अंकुश लगावैं विदेशी। किसीम-किसीम...।
आतंकी भेजी केॅ हमरा कूड़ावैं,
पुलिस सहीत होकर गाड़ीयो उड़ावैं,
भाय-भाय मेॅ रोजे, करैं केशा-केशी।
किसीम-किसीम झगड़ा लगावै विदेशी।