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हिंसक नानी / शिव कुमार झा 'टिल्लू'
Kavita Kosh से
खापड़ि बेलनाक कहानी,
आब नहि दोहराबू अय नानी।।
नाना बनल छथि सियार,
भक छथि जेना हुलुक बिलार,
दंतक गणना घटि कऽ बीस
हुरथि गूड़ – चूड़ाकेँ पीस
गाबथि दारा दरद जमानी।
आब..........।।
वरनक बर्ख भेल चालीस,
अर्पित अहँक चरणमे शीश,
अहाँ लेल लबलब दूध गिलास,
नोर पीबि अपन बुझाबथि त्रास,
क्षमा करू! छोड़ू आब गुमानी।
आब............।।
अवकाशक बीति गेल दस साल,
पेंशनसँ आनथि सेब रसाल,
भरि दिन पान अहाँक गाल
ऊपरसँ मचा रहल छी ताल,
चमेलीसँ भीजल अछि चानी
आब.............।।
कतेक दिन सुनता पितृ उगाही,
संतति पूरि गेलनि दू गाही,
मामा मामीक बिहुँसल ठोर,
माँ छथि, चुप्प! साधने नोर,
कोना बनि जेता आत्म बलिदानी
आब..............।।