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होना चाहता हूँ / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
ओंगी युवक एनटाले से बातचीत के बाद
होना चाहता हूँ थोड़ा सा पंछी
कि उड़ू अनन्त ऊँचाइयों में
होना चाहता हूँ थोड़ी सी हवा
कि बहूँ दुनिया के ओर छोर
होना चाहता हूँ थोड़ा सा पेड़
कि पहुँचूँ मिट्टी की गंध तक
होना चाहता हूँ थोड़ा सा कछुआ
कि रेंगूँ अतल गहइराइयों में
होना चाहता हूँ थोड़ा सा समुद्र
कि जाऊँ पृथ्वी के दूसरे तरफ भी
होना चाहता हूँ थोड़ा थोड़ा कर इतना
कि दुनिया में आपके पहुँचने के पूर्व
पहुँचूँ जीवन में थोड़ा, समझूँ जीवन को थोड़ा